Friday, July 25, 2025

वैदिक दर्पण

अंक, ग्रह और भाग्य – एक सहज परिचय

हिंदू धर्म

हनुमान जी के 5 अद्भुत रूप और उनका गूढ़ अर्थ

भगवान हनुमान को केवल बजरंगबली, संकटमोचक या रामभक्त के रूप में समझना उनकी विराटता का अंशमात्र जानना है। हमारे शास्त्रों में हनुमान जी के कई रूपों का उल्लेख मिलता है, जिनमें पाँच मुखों वाले हनुमान का स्वरूप विशेष रूप से अद्भुत है। इन पाँच मुखों (पंचमुखी हनुमान) के पीछे न केवल आध्यात्मिक, बल्कि गूढ़ दार्शनिक रहस्य भी छिपे हैं।

यह लेख हनुमान जी के इन 5 विशिष्ट रूपों को उजागर करता है — प्रत्येक रूप का प्रतीकात्मक अर्थ, उसका कार्य, और भक्त के जीवन में उसका महत्व।


1. वानर मुख (मुख्य मुख)

दिशा: पूर्व
प्रतीक: बल, बुद्धि और भक्ति का संगम

अर्थ: यह मुख हनुमान जी का मूल स्वरूप है — रामभक्त, वज्रदेही और अत्यंत बलशाली। यह हमें सिखाता है कि जीवन में सच्ची भक्ति और निस्वार्थ सेवा से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।

आध्यात्मिक संकेत:

  • यह मुख हमारी भीतरी शक्ति को जगाता है।
  • हनुमान चालीसा में उल्लेखित “बुद्धिहीन तनु जानिके” से जुड़ा भाव यही है — श्रद्धा से युक्त प्रार्थना।

2. वराह मुख (उत्तर दिशा)

प्रतीक: धरती और धर्म की रक्षा

अर्थ: यह स्वरूप भगवान विष्णु के वराह अवतार का प्रतीक है। जब पृथ्वी को अधर्म के भार से मुक्ति दिलानी होती है, तब यह रूप सक्रिय होता है।

महत्व:

  • यह मुख व्यक्ति को जीवन की नकारात्मकता से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है।
  • यह रूप संकेत करता है कि सत्य के लिए जब ज़रूरत हो, तो संघर्ष आवश्यक है।

3. गरुड़ मुख (दक्षिण दिशा)

प्रतीक: शक्ति, सुरक्षा और तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति

अर्थ: गरुड़ मुख विशेष रूप से तांत्रिक, काले जादू या विषाक्त ऊर्जा से रक्षा करता है। गरुड़ विषहरण और शत्रु नाशक के रूप में विख्यात हैं।

आध्यात्मिक लाभ:

  • जीवन में डर, शंका या मानसिक विष से ग्रसित व्यक्ति इस मुख के ध्यान से मुक्ति पा सकता है।
  • यह रूप अत्यंत रक्षक है और ‘नजर दोष’ से भी रक्षा करता है।

4. नृसिंह मुख (पश्चिम दिशा)

प्रतीक: अन्याय पर न्याय की विजय

अर्थ: यह मुख भगवान विष्णु के उग्र नृसिंह अवतार का प्रतीक है, जिसने भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु हिरण्यकश्यप का वध किया था।

प्रेरणा:

  • यह मुख उन लोगों के लिए है जो अन्याय, उत्पीड़न या क्रूरता के शिकार हैं।
  • यह रूप चेतावनी देता है कि जब सत्य की रक्षा हेतु क्रोध आवश्यक हो, तब हनुमान भी उग्र हो जाते हैं।

5. हयग्रीव मुख (ऊर्ध्व दिशा – ऊपर)

प्रतीक: विद्या, ज्ञान और चेतना

अर्थ: हयग्रीव मुख भगवान विष्णु के ज्ञानस्वरूप अवतार का प्रतीक है, जिनका मुख अश्व (घोड़ा) के समान है। यह स्वरूप हनुमान जी की असीम बुद्धि और स्मरण शक्ति को दर्शाता है।

गूढ़ अर्थ:

  • विद्यार्थियों, साधकों और ज्ञान की तलाश में लगे भक्तों के लिए यह रूप विशेष है।
  • यह मुख ध्यान, वेद अध्ययन और बौद्धिक विकास को बढ़ाता है।

🔱 पंचमुखी हनुमान का महत्व

शास्त्रों में वर्णन आता है कि रावण के भाई अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में बंदी बना लिया था। उन्हें मुक्त कराने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया, जिससे वे पांचों दिशाओं में एक साथ सक्रिय हो सके और अहिरावण का वध कर सके।

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