Saturday, July 26, 2025

वैदिक दर्पण

अंक, ग्रह और भाग्य – एक सहज परिचय

ज्ञानवर्धक लेख

छिपकली का गिरना: भारतीय मान्यताएं बनाम वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  1. छिपकली गिरना: भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों में महत्व

(क) गोमत शास्त्र का उल्लेख

“गोमत शास्त्र” प्राचीन ग्रंथ है जो छिपकली (गृहगोधिका) के शरीर पर गिरने के संकेतों की व्याख्या करता है। यह माना जाता है कि छिपकली का गिरना मनुष्य के भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देता है।

सिर पर छिपकली गिरने के संकेत:

सिर पर छिपकली गिरना प्रायः राजयोग, सम्मान, मान-प्रतिष्ठा या पदोन्नति का सूचक माना जाता है।

कुछ क्षेत्रों में इसे विशेष सौभाग्य, यश व वैभव का प्रतीक माना गया है।

दक्षिण भारत में मान्यता है कि यदि छिपकली सिर के दाहिने भाग पर गिरे तो यह अत्यधिक शुभ होता है, किन्तु बाएँ भाग पर गिरे तो सावधानी बरतनी चाहिए।

(ख) ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष के अनुसार सिर ब्रह्मा का स्थान है। छिपकली का गिरना यहाँ आने वाले अच्छे अवसरों, यात्रा या नए संपर्कों का भी प्रतीक होता है। यदि छिपकली सिर पर गिरती है, तो इसे देवताओं का संकेत मानते हैं कि व्यक्ति का भाग्य चमकने वाला है।

(ग) लोक मान्यताएँ

बुजुर्गों का मानना है कि सिर पर छिपकली गिरने से मनोकामना पूर्ण होती है।

कई ग्रामीण क्षेत्रों में इसके बाद गंगा स्नान या शुद्धिकरण अनिवार्य माना जाता है ताकि अशुभता दूर हो।

  1. छिपकली गिरने का वैज्ञानिक पक्ष

(क) छिपकली की जैविक प्रवृत्ति

छिपकली एक शीत-रक्तधारी सरीसृप है। यह प्रायः दीवारों, छतों पर रहती है। गिरना इसकी असंतुलित पकड़ या सतह की चिकनाई का परिणाम हो सकता है — न कि कोई दैवी संकेत।

(ख) स्वच्छता एवं स्वास्थ्य संबंधी खतरे

छिपकली का गिरना विशेषकर सिर या भोजन पर निम्न कारणों से चिंता का विषय हो सकता है:

संक्रमण का खतरा:
छिपकली के शरीर पर अनेक प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं, जैसे – साल्मोनेला, जिससे खाद्य विषाक्तता हो सकती है। अगर छिपकली सिर या बालों पर गिरती है, तो तुरंत स्नान कर लेना उचित है।

एलर्जी की संभावना:
कुछ लोगों में छिपकली की त्वचा के संपर्क से एलर्जी या खुजली जैसी त्वचा रोग हो सकते हैं।

मानसिक तनाव:
छिपकली का गिरना कई लोगों में घबराहट, डर, या मानसिक बेचैनी उत्पन्न कर सकता है। यह शुद्ध मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया होती है।

(ग) असली नुकसान के उदाहरण

अब तक किसी वैज्ञानिक रिपोर्ट में यह प्रमाणित नहीं हुआ कि छिपकली के सिर पर गिरने से कोई शारीरिक हानि या मृत्यु हो सकती है। किंतु असावधानीवश यदि छिपकली के विष्ठा या मूत्र का संपर्क आँख, कान, मुँह से हो जाए तो संक्रमण की आशंका रहती है।

  1. छिपकली गिरने से जुड़ी विश्वभर की रोचक मान्यताएँ

(क) भारत

छिपकली दाहिने कंधे पर गिरे तो धन लाभ।

सिर पर गिरे तो सम्मान व उन्नति।

(ख) श्रीलंका

यदि छिपकली छत से गिरती है, तो यह “पूर्वजों की आत्मा का संदेश” मानी जाती है।

(ग) थाईलैंड

घर के द्वार पर छिपकली दिखना यात्रा में बाधा का संकेत।

(घ) चीन

छिपकली घर में दिखना सौभाग्य व समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

  1. छिपकली गिरने की घटना के बाद क्या करें?

साफ-सफाई:
यदि छिपकली सिर पर गिरे तो तत्काल स्नान कर लेना उचित है ताकि कोई भी संक्रमण न फैले।

मानसिक संतुलन बनाए रखें:
यह केवल एक सामान्य जैविक घटना है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।

वैज्ञानिक सोच अपनाएँ:
छिपकली के गिरने से भविष्य का कोई निर्धारण नहीं होता। भविष्य आपकी मेहनत व निर्णयों पर निर्भर है।

  1. छिपकली से बचाव के उपाय

घर की सफाई करें:
दीवारें, छतें व कोने नियमित रूप से साफ करें।

कीटनाशकों का प्रयोग:
छिपकलियों को दूर रखने वाले प्राकृतिक या रासायनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें।

दरारें बंद करें:
दीवारों की दरारें व खिड़की-दरवाज़ों के छेद बंद रखें।

तेज़ गंध वाले पदार्थों का उपयोग:
कपूर, नींबू, लहसुन जैसी वस्तुएँ छिपकली को दूर रखती हैं।

  1. निष्कर्ष

धार्मिक दृष्टिकोण से:
भारत में छिपकली के सिर पर गिरने को शुभ व उन्नतिकारक माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार यह विशेष सौभाग्य का संकेत है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
यह एक साधारण जीव वैज्ञानिक घटना है जिसका मानव स्वास्थ्य पर सीधा दुष्प्रभाव नहीं है यदि उचित सफाई कर ली जाए। परंतु संक्रमण, एलर्जी व घबराहट के कारण सावधानी ज़रूरी है।

सामाजिक दृष्टिकोण से:
ऐसी मान्यताएँ समाज में आशा, भय, सावधानी या प्रेरणा का भाव भरती हैं, परंतु इसके पीछे अंधविश्वास न पालें। वैज्ञानिक सोच के साथ परंपराओं का सम्मान करें।

  1. संक्षिप्त सारांश (Summary Points)

गोमत शास्त्र के अनुसार सिर पर छिपकली गिरना शुभ संकेत है।

वैज्ञानिक दृष्टि से छिपकली गिरना मात्र जैविक घटना है।

संक्रमण, एलर्जी व मानसिक तनाव की आशंका रहती है।

स्नान व साफ-सफाई ज़रूरी है।

छिपकली से बचाव हेतु घरेलू उपाय अपनाएँ।

अंधविश्वास से बचें; जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टि रखें।

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